बुधवार, 7 मार्च 2018

महिला दिवस

महिला दिवस ,आठ मार्च 2018
***************महिला का प्रथम नाम शक्ति ,दूसरा महिला नारी वुमन ,तीसरा अबला इत्यादि व चौथा आधुनिक अनेक नाम हैं जो आज के चलचित्रों व टीवी के कार्यक्रमों में दिखाई दे रहे हैं।यह भी निर्विवाद है कि हमारे सामाजिक ताने -बाने में शक्ति का सन्तुलन सदैव महिलाओं के पक्ष में रहा है परन्तु इस शक्ति का महिला समाज में समान वितरण नहीं रहा है।इसी कारण महिला के अनेक उचित, अनुचित पर्याय बनते गए। क्या यह सच नहीं है कि महिलाओं के कुछ रूप, शक्ति सम्पन्नता के कारण, स्वामिनी जैसे हो जाते हैं तो कुछ ,शक्ति विपन्नता के कारण, दासी जैसे। गौर करने के लिए सास -बहू ,सधवा -विधवा ,मालकिन -धाय ,कुल बधू -नगर बधू  के उदहारण पर्याप्त होंगे।आप हमेशा भाई चारा की बात सुनते होंगे परन्तु महिलाओं में  बहिनत्व या बहिन चारे की बात कभी नहीं। कभी सपने में सुन भी लिए होंगे तो देखना तो गधे की सींग जैसी घटना होगी।
***************महिला दिवस पर महिलाओं को एक दूसरे को शक्ति के समतल पर लाने का प्रण करना चाहिए और बहिनत्व का नारा बुलन्द करना चाहिए। सच ही कहा गया है कि हम बदलें गे --युग बदले गा।जहाँ तक पुरुष की बात है ,वह महिला की संस्कारशाला से ही निकला उन्ही के साथ उन्हीं के लिए व्यवस्थाधीन जीने वाला प्राणी है और यदि कभी कोई पुरुष महिलाओं के साथ अभद्र होता है तो फिर ध्यान संस्कार की ओर ही जाता है।हाँ , पुरुषों का  परम कर्तव्य है कि वह महिलाओं में श्रद्धा भाव सदैव व प्रति पल रखे। छायावादी महा रचनाकार स्व जय शंकर प्रसाद जी ने भी कामायनी में यही कहा है कि ----
नारी तुम केवल श्रद्धा हो ही,
विश्वास रजत नग  पद तल में।
पियूष श्रोत सी बहा करो,
जीवन के सुन्दर समतल में।
***************आज महिलाओं को ध्यान देना होगा कि वे न तो अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी बनें और न ही तू चीज बड़ी है -- बनें।उन्हें अपनी प्रगति के वर्तमान दौर में उपभोक्तावाद संस्कृति से सावधान रहते हुए अपनी गरिमा बनाए रखना होगा।श्रद्धा के लिए आचरण की योग्यता रखना महिलाओं का सर्वोपरि दायित्व है। यदि महिलाओं में यह योग्यता नहीं होगी तो वे आज की अपसंस्कृति की शिकार होती रहें गी। अतः आदरणीया या श्रद्ध्येया  को सत्यशः आदरणीया या श्रद्ध्येया ही बने रहना चाहिए।
***************यद्यपि आज महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र जैसे विज्ञान ,अंतरिक्ष ,कला ,साहित्य ,शिक्षा ,खेलकूद ,राजनीति ,नौकरी ,उद्यमिता इत्यादि में आसमान छूने छूने लगी हैं ;फिर भी उनकी सहभागिता सँख्या ऊँट के मुँह में जीरा जैसी ही है। समाज अपवाद की उन्नति से नहीं बनता है, समाज सामान्य की उन्नति से बनता है और यह तभी सम्भव होगा जब महिलाएं स्वयँ बढे गी और बहिनत्व भाव से अन्य महिलाओं को आगे बढ़ाएं गी।नारी शक्ति के प्रति श्रद्धा भाव जताते हुए आज हम उन्हें उनकी शक्ति का सादर स्मरण कराते हैं।  ----- मंगलवीणा
वाराणसी ;दिनाँक 08 . 03 . 2018
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अपनी बात भी -
***************वर्षों से आज का दिन मेरे लिए तो  अविस्मरणीय रहा है क्योंकि तैंतालीस वर्ष पूर्व  सन 1975 में आज के दिन ही मैं अपनी पत्नी वीणा सिंह के साथ परिणय सूत्र में बँधा था। जीवन में इस संयोग के लिए मैं अपने को बहुत ही भाग्यशाली मानता हूँ।मेरी धर्म पत्नी जी एक सशक्त महिला हैं और हमारे परिवार संचालन में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही हैं।सहमति- असहमति, प्रेम- तकरार,उतार -चढ़ाव के बीच हम दोनों  अच्छे सहयात्री हैं और अपनी नई पीढ़ी को सँवारने में ब्यस्त हैं। यह मंगलवीणा ब्लॉग जो वर्षों से आप स्नेही पाठकों एवँ मित्रों के समक्ष प्रस्तुत हो रहा है , हम दोनों के नाम युग्म का ही पुष्प गुच्छा है।अंततः महिला दिवस पर दुनियाँ की समस्त महिलाओं का सादर अभिनन्दन एवँ इस सुखद संयोग का आभार।-----------------------------------मंगला सिंह
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