रविवार, 18 दिसंबर 2016

विकास कि बकवास

  ***********[नोटबंदी एवं संसद गतिरोध पर एक प्रतिक्रियात्मक लेख ]**********
*************** निश्चय ही हमारे देश का हर क्षेत्र में त्वरित विकास हो रहा है परन्तु  बकवास भी  बहुत अधिक एवं सर्वत्र हो रहा है। कहीं बकवास की विषयवस्तु के लिए राई जैसे विकास का पहाड़ सरीखा हो-हल्ला हो रहा है तो कहीं सराहनीय विकास पर भी बकवास हो रहा है। जहाँ हमारा सराहनीय विकास युवा संसाधन आधारित है वहीं इस युवा पीढ़ी को  यह भी अनुभूति होने लगी है कि अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अधिकांश नेताओं  के बकवास  भी विकास में गतिरोधक बने हुए हैं।आज के भारतीय लोकतंत्र में बकवास के कोहरे से दूसरों द्वारा किये गए विकास की दृश्यता को धुंधला करना सरकारों व विरोधियों का परम ध्येय बन गया है। नेता तो मान कर चलते हैं कि जनता उनके स्वार्थीपन व छुद्रता को उतना नहीं जानती जितना वे हैं ,वही जनता है कि वह उनके रवा  -रत्ती जानने लगी है और उनसे उतनी ही घृणा करने लगी है।आम जन को यह पच नहीं रहा है कि देखते ही देखते बिना योग्यता एवं जिम्मेदारी के दौलत एवं दाम बटोरू इस नेतागीरी विभाग में इतने पद सृजित हो गये हैं कि जहाँ देखो वहाँ नेता।आज देश में कृषि के बाद नेतागीरी सबसे बड़ा क्षेत्र है जिसमें रोजगार की मनचाही संभावनायें हैं। चूँकि कमाई के बदले बकवास का उत्पादन इनका मुख्य काम है ,अतः बकवास का उत्पादन भी बुलंदियों पर है।
***************स्वतंत्र भारत के अभिलेखों में प्रमुखता से उद्धरणीय एक निर्णय,वर्तमान सरकार द्वारा लिया गया , नोटबन्दी का निर्णय है जिसके फल प्रतिफल पर गहन विमर्श की आवश्यकता है। ऐसे दूरगामी परिणाम देने वाले निर्णय ,जिनका व्यापक प्रभाव राजा से रंक तक सब पर पड़ता है,  किसी राष्ट्र में कभी -कभार होते हैं ।एक ईमानदार प्रधान मंत्री पर विश्वास कर राष्ट्र बेहतरी के लिए जनता मुद्रा संकट से जूझ रही है परन्तु इसके इतर स्वार्थी तत्व एवं विरोधी नेता इस पहल को निष्प्रभावी ही नहीं दुष्प्रभावी करने के लिए बकवास पर बकवास की झड़ी लगाए हुए हैं। ऐसा भी नहीं है कि जनता नोटबन्दी के आसन्न परिणाम पर सशंकित नहीं है या वह जानना नहीं चाहती है कि वस्तुतः इस अग्नि परीक्षा के परिणाम क्या मिलें गे। सबकी  अपेक्षा थी कि देश की शीर्ष सभा" भारतीय संसद" के अभी बीते सत्र में माननीय बन चुके नेतागण इस विषय पर व्यापक बहस करेंगे और जनता के शंकाओं का समाधान हो जाय गा। परंतु हुआ क्या -जनता के करोड़ों रुपये की छति के बदले मिला सिर्फ बकवास ,बकवास और बकवास। संसद में विरोधी दल के सांसदों ने जो गैर जिम्मेदार आचरण किया उससे प्रधान मंत्री में जनता का विश्वास और दृढ हो गया ।यदि ये माननीय लोग निर्लज्ज न होते तो जितने दिन सदननहीं चला उतने दिन का वे वेतन ,भत्ता नहीं लेते  और शेष बचे क्षति की भरपाई  आपसी अंशदान से कर देते। परन्तु ऐसा होगा नहीं क्योंकि आज के अधिकांश नेता निर्लज्ज हैं और उनका नैतिकता से कोई मतलब नहीं।
***************इतना ही नहीं इस बकवास की माया यहाँ वहाँ सर्वत्र है। व्यवस्था ,जिसके कन्धे पर नोटों के बदलने की जिम्मेदारी थी ,ने भी इस क्रियान्वयन को चोट पहुँचाया।पिछले दरवाजे से  काले धन वालों के पास नए नोटों के खेप पहुंचने लगे और उनके पुराने नोट बैंकों में भरने लगे। जनता बैंक के द्वारों पर भिखारी की तरह खड़ी रही और बैंकरों की ओर देखती रही।  काले धन के पोषक नेता लोग उनके धैर्य पर नमक छिडकने और उन्हें भड़काने का प्रयास करते रहे।जब बैंकों की सत्यनिष्ठा के बिपरीत आचरण की गतिविधियाँ सरकार के संज्ञान में आईं और मीडिया तथा समाचारपत्रों ने उजागर करना शुरू किया तो फिर सिद्ध हुआ कि हमारी ब्यवस्था भी बकवास हो चुकी है।इतना ही नहीं विभिन्न चैनलों पर माँगी मुराद पाए अनेक स्वयं भ्रमित विशेषज्ञ तो बकवास की ताताथैया करने लगे हैं।जनता मीडिया को बहुत पसन्द करती है ,अतः उन्हें बकवास परोसने वालों से दूर रहना चाहिए।परिवर्तन के वर्तमान दौर में तंत्र के इस चौथे स्तम्भ मीडिया से जनता को बहुत अपेक्षा है। आशा कि जानी चाहिए कि जनता के धैर्य और मीडिया के आईना से व्यवस्था को सन्देश मिले गा और वे जनाकांछा के अनुरूप व्यवहार करें गे ताकि भविष्य में उनके विरोध में उठनेवाली हर चर्चा को बकवास कहा जा सके।
***************रही बात विकास की। तो विकास वही जो जनता के द्वार तक पहुंचे न कि वह जिसे जनता के मन ,मस्तिष्क में विज्ञापनों व शोरगुल द्वारा बैठाया जाय। यदि कोई विकास का कार्य होता है तो वह दिखता है, जनता को उसे मिलने की सुखद अनुभूति होती है ,उसके जीवन में बेहतरी आती है और देश प्रगति पथ पर आगे बढ़ता है।अतः प्रचार -प्रसार के बल पर जनता को विकास जताना भी बकवास है।अभी उत्तर प्रदेश ,पंजाब आदि राज्यों में चुनाव निकट हैं। जो दल सत्ता में हैं वे अपने द्वारा किये गए झूठ -सच विकास कार्यों की ढफली बजाने लगे हैं और उनके विरोधी दल उसे  झूठ तथा धोखा बताने लगे हैं।  सरकारें ऐसे भी विकास कार्यों की गिनती करा रही हैं जिनको ढूंढना होगा कि कहाँ हुआ ,कितना हुआ ,कब हुआ और किसका लाभ हुआ। मेनिफेस्टो की तो बात करना भी बकवास है।फिर भी विभिन्न नेता संगठनों का प्रयास होगा कि किसी तरह उनका सम्मोहन जनता पर चल जाय और सरकार बन जाय। फिर तो पाँच वर्ष के लिए वे ही माननीय ,उन्ही की दौलत उन्ही की सोहरत और वोट देने वाली जनता उनके लिए बकवास।उलझन तो यह रही है कि बकवासी जनता के बीच से उपजते हैं और वे विधायिका ,कार्यपालिका ,न्यायपालिका को भी अपने लायक बनाने का प्रयास करते रहते हैं इसीलिए उन्हें घेरने के सामान्य फंदे कमजोर पड़ते हैं और देश का विकास वाधित होता है।जो हुआ सो हुआ ;उलझन सुलझाने का समय आ गया है कि विकास विरोधी नेताओं एवं दलों को नैपथ्य में भेजा जाय। मोदी सरकार को जनता ने इसी लिए सत्ता सौंपी है कि तीनों तंत्रों में जितने भी छिद्र हैं उन्हें सख्ती से बंद कर दिया जाय ताकि लुटेरे कहीं से भाग न सकें।
***************हमारा देश बदल रहा है ।अब न तो जनता बकवास कहलाने को ,न सुनने को और न ही देश द्रोहियोँ को केवल बकवास कह कर छोड़ने को तैयार  है।इक्कीसवीं सदी भारत की है।सुयोग से प्रधान मंत्री श्री मोदी के सारथीत्व में  देश के करोड़ों युवाओं की  ऊर्जा  विकास रथ को आगे बढ़ाने में लग गई है।बकवास रूपी प्रतिरोध से गति धीमी करने का प्रयास हो रहा है और होगा परंतु इस चुनौती का अवसर में बदल जाना तय है।बैंकों और एटीएम के बाहर पंक्तियों में खड़े लोगों ने मोदी -मोदी का उद्घोष कर  विरोधी  नेताओं ,भ्रष्टाचारियों ,काले धन स्वामियों तथा देशद्रोहियों को स्पष्ट संदेश  दे दिया है कि वे राष्ट्र हित के लिए मोदी जी के साथ हैं और इससे भी बड़ी चुनौतियाँ लेने को तैयार हैं।उन्होंने बकवासियों को यह भी पूर्वाभास कराया है कि वे या तो विकास के साथ होलें या मिटने का मन बना लें।मोदी जी भारतीय जनाकांछा  की उपज हैं। मोदी मिशन में ही जन -जन की खुशहाली ,एवं देश के सर्वांग  विकास  की प्रबल संभावनाएँ हैं। सभी को स्वच्छ मन ,वाणी और कर्म से इस हवन में आहुति देना होगा।परिणाम में विकास और खुशहाली की ऐसी घटाटोप वर्षा होगी कि देशवासियों का मनमयूर नाच उठेगा और सबसे आगे होंगे भारतवासी। आइए हम भारत वासी मोदी जी के सारथीत्व में देश को विश्व के  पाँचवीं आर्थिक शक्ति से प्रथम आर्थिक शक्ति बनाने का तथैव संकल्प लें।
वाराणसी ;दिनाँक 20 दिसम्बर 2016                                                         मंगलवीणा
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गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

सर्जिकल स्ट्राइक कि बोरोप्लस

***************इतिहास का यही क्रम है कि वर्ष के बाद वर्ष अपने विशिष्ठ पहचान के साथ इसके पृष्ठों  में जुड़ते जाते हैं और उसी विशिष्ठिता से वे याद किये जाते हैं। कुछ ऐसे ही,भारत के इतिहास में वर्ष दो हजार सोलह ईयर ऑव सर्जिकल स्ट्राइक के नाम से जाना जाय गा। इस अस्त्र का पहला प्रत्यक्ष प्रयोग भारतीय सेना के रणबाँकुरों ने, पिछले वर्ष दस मई को,सीमा से सटे म्यांमार में किया जब वे मणिपुर में सक्रिय रहे डेढ़ सौ से अधिक आतंकियों को रात के चंद घण्टों में मौत की नींद देकर सकुशल वापस आ गए। इस सर्जिकल स्ट्राइक की देश में बड़ी वाहवाही भी हुई परंतु वर्तमान वर्ष में तो हमारे देश में सर्जिकल स्ट्राइक ने धूम मचा दिया ।पूरे विश्व का ध्यान उभरते भारत की ओर तब खिंचा जब उन्तीस सितम्बर को  वर्तमान दृढ़निश्चयी सरकार क़ी अपेक्षा के अनुरूप उच्च मनोबल वाली पेशेवर भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर घुस कर आतंकियों एवं पाकिस्तानी सैनिकों पर आशातीत सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया। भारतवासियों ने झूम कर दीपावली सा उत्सव मनाया।पाकिस्तान की हेकड़ी चूर हुई तो भारत के नेतृत्व व सैन्य दक्षता को पूरे विश्व में सराहा गया। विपक्षी दलों को सरकार के लिए जनता द्वारा की गई सराहना रास नहीं आई। काँग्रेसियों ने तो यहाँ तक कह डाला कि उनके शासन काल में सेना ने ऐसे बहुत सारे सर्जिकल स्ट्राइक किये थे लेकिन उन्होंने कभी इन्हें सार्वजानिक नहीं किया।पुनः दीपावली बीतते ही आठ अक्टूबर की सांझ को भारत में आर्थिक मोर्चे  पर  एक  दूसरी ऐसी सर्जिकल  स्ट्राइक  हुई  कि  काले   धन  वाले, नेता,ठेकेदार, अभियंता,अधिवक्ता, चिकित्सक , व्यापारी ,नौकर शाह ,नक्सली ,आतंकी ,रियल इस्टेट,इत्यादि के कारोबारी एक साथ धराशायी हो गए। दूसरे दिन प्रातः देशवासियों ने क्षितिज से नए भारत को उगते देखा।
***************तब से जनता बैंकों व एटीएम मशीनों के सामने पैसे के लिए घण्टों कतार में खड़ी हो रही है।परन्तु इस स्ट्राइक से जनता इतनी प्रसन्न है कि कतार में लगने से कोई थकान ही नहीं। कतार में खड़े -खड़े वे कभी मोदी जी की सराहना करते हैं तो कभी मोदी -मोदी के नारे लगाते हैं। कभी कोई नेता दिखने पर घृणापूरित व्यंग करते हैं तो कभी रियल इस्टेट व लाकर वालों पर भी सर्जिकल स्ट्राइक के लिए मोदी जी से अपील करते हैं।देश के हर कोने तथा हर वर्ग से यही आवाज उठ रही है कि ये भारत माँगे मोर।जनता कोई भी कठिनाई झेलने को तैयार है परंतु काले धन वालों को अब समूल नष्ट होते देखना चाहती है। यहाँ तक कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लोग भी मोदी जी के इस साहसिक प्रयोग की सराहना कर रहे हैं ओर अच्छे परिणाम की अपेक्षा कर रहे हैं।
*************** दूसरी ओर आतंरिक मोर्चे पर काले धन का केंद्र बने हुए विभिन्न विरोधी दलों के नेताओं में खलबली मची हुई है। उन्हें नोटबन्दी के विरोध का कोई नैतिक कारण नहीं मिल रहा है तो जनता के कतार में घण्टों खड़ा होने की दुहाई दे रहे हैं या बिना तैयारी के क्रियान्वयन की बात कर रहे हैं।निःसंदेह ये नेता ही हैं जो काले धन का नेतृत्व कर रहे हैं ,संसद की कार्यवाही ठप कर रहे हैं तथा भारतबन्द करने का प्रयास कर रहे हैं।उनकी इस मुद्दे पर दंगा फसाद कराने की हर कोशिश बेकार जा रही है क्योंकि यह जो भारत की पब्लिक है ; सब जानती है।नोटबन्दी तो टूटने वाली नहीं है परन्तु सत्ता पक्ष व बिहार के देशप्रेमी मुख्यमंत्री को छोड़ अन्य सभी नेताओं ने यह अवश्य सिद्ध कर दिया कि वे काले धन के समान पक्षधर हैं।सराहनीय हैं प्रधान मंत्री जी एवं धन्य है सर्जिकल स्ट्राइक कि जनाकांछा को  परवान चढ़ने का अवसर मिला।
***************अब तो आम लोगों की समझ में मोदी जी ,सुचिता,राष्ट्रभक्ति और सर्जिकल स्ट्राइक एकरूप हो चुके हैं।मोदी विरोध का सीधा अर्थ है कालाधनी,बेईमान व राष्ट्रद्रोही होना।इस धारणा को पुष्ट करने में अनैतिक एवम लुटेरे विपक्षियों का बहुत बड़ा योगदान है।  नए सपनों के भारत का हर नागरिक चाहता है कि मोदी जी अपने उद्देश्य में सफल हों तथा  भविष्य में उनके द्वारा की जाने वाली हर सर्जिकल स्ट्राइक सफल हो।साधारण सोच है कि पश्चिमी सीमा ,रियल इस्टेट और बेनामी संपत्ति पर और सर्जिकल  स्ट्राइक की आवश्यकता है। भारत के सुनहरे भविष्य का पदार्पण इन स्ट्राइक की सफलता पर ही निर्भर है और जनता के मूड को मोदी जी से बेहतर समझने वाला कोई दूसरा नेता नहीं है। इतना ही नहीं जब तक भारत में वीआईपी संस्कृति पर सर्जिकल स्ट्राइक नहीं होती,यह क्रम जारी रहना चाहिए। जिस दिन ऐसा होगा ,इन नेताओं को पता लगे गा एक ईमानदार साधारण नागरिक क्या होता है और उसकी अपेक्षा क्या होती है।
***************फिर हाल सर्जिकल स्ट्राइक्स का स्वागत है और निकट भविष्य में ऐसी ढेर सारी स्ट्राइक्स के लिए शुभ कामनाएं।इस एक ब्रह्मास्त्र में बहुत कुछ साधने एवं भारत को महाशक्ति बनाने की क्षमता है।यद्यपि काला होने के आधार पर हाथी के साथ काली हांड़ी की तुलना नहीं हो सकती फिर भी यह कहने को दिल करता है कि यह सर्जिकल स्ट्राइक है कि बोरोप्लस।इस प्रसंग में गोस्वामी तुलसी दास कि निम्न लिखित पंक्तियाँ भी विचार योग्य हैं -
---------------ग्रह भेषज जल पवन पट ,पाइ कुजोग सुजोग।
---------------होइँ कुवस्तु सुवस्तु जग ,लखइ बिलच्छन लोग।
अस्तु सुयोग बना रहे ;सब ठीक ही होगा।बस कर्मयोगी की कर्मसाधना अनवरत चलनी चाहिए। ----------------------------------------------------------------------- मंगलवीणा
वाराणसी ,दिनाँक:01 दिसम्बर 2016                  mangal-veena.blogspot.com
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