बुधवार, 20 नवंबर 2013

भारतरत्नगर्भा वसुन्धरा

 ************  इस धरती पर कभी खनिज विशेष के रूप में तो कभी व्यक्ति विशेष के रूप में रत्न अवतरित होते रहते हैं । खनिज या पत्थर वाले रत्न परीक्षण के तो शतप्रतिशत परिभाषित मानक  हैं परन्तु ब्यक्ति के परीक्षण हेतु ,कम से कम भारत में ,कोई स्पष्ट मानक नहीं हैं । फिर भी जो मानक उपलब्ध हैं ;उनके परिपेक्ष्य में जब कोई व्यक्ति कुछ एक भारत रत्नों के लिटमस जाँच का प्रयास करता है ,उसकी शंका घटने के वजाय बढ़ती जाती है । हाल में सचिन तेंदुलकर एवं प्रो सीएनआर राव को भारतरत्न दिए जाने के बाद पूरे देश में इसके मानकों पर एक बार फिर ऐसी ही चर्चा होने लगी है और भारतरत्न के मानक ही लड़खड़ाते दिख रहे हैं । हम भारतीयों की विशेषता है कि हम किसी भी निर्णय के लिये बहुत ही लचीला एवं धुँधला मानक बनाते हैं ताकि निर्णय को गलत या सही ठहराने में इन  दो शब्दों का लाभ उठाया जा सके ।थक हार क़र एक मानक को सर्वोपरि मानना पड़ता है कि सरकार जिसे भारतरत्न की उपाधि देदे वह भारतरत्न पाने की योग्यता रखता है । अन्यथा नहीं ।
************अभी हाल में जिन दो महानुभावों को भारतरत्न दिया गया ;निःसंदेह उनमें से एक विज्ञानं जगत का सितारा है तो दूसरा क्रिकेट का । इन्हें यह सम्मान मिलने से इनके प्रसंशकों में ख़ुशी की लहर है और बधाइयों का ताँता । यह और भी अच्छी बात रही कि बीते सप्ताह ये दोनों भारतरत्न विशेषकर तेंदुलकर महँगाई ,भ्रष्टाचार एवं जनता के तमाम घावों पर भारी पड़े ।यदि ऐसा ही कुछ हमारी सरकारें सप्ताह दर सप्ताह करती रहें तो भूखी जनता ख़ुशी मनाते मरेगी और उनके कराह की आहट भी नहीं लगेगी ।मीडिया को भी ब्यस्त होने का मसाला मिल जायगा । इस घोषणा हेतु चुने गए समय केलिए भी भारतरत्न चयन समिति के सदस्य और भारत सरकार सभी बधाई के योग्य हैं । सोने में सुहागा यह कि सप्ताह जाते -जाते इस अलंकरण ने एक नया एवं बड़ा बहस का विषय खड़ा कर दिया कि सचिन को भारतरत्न तो अटल विहारी बाजपेयी को क्यों नहीं । यह विषय भी दर्द निवारक की तरह थोड़े दिन जनता को राहत देते दिख सकता है ।
************रही बात भारत के पूर्व प्रधान मंत्री बाजपेयी की । उन्हें भारतरत्न न देने में मानक अड़चन हैं ही नहीं ।मूल में अड़चन तो राजनीति है वरन मानकों की निष्पक्ष कसौटी पर वे सबसे पहले और सबसे ऊपर खरे उतरते हैं । उन्हें यह सम्मान देने से सम्मान भी सम्मानित होता । यदि श्रेष्ठता की चर्चा हो तो यह सच्चाई है कि समान कार्यक्षेत्र में योगदान देने वालों में ही तुलना हो सकती है। अतः सचिन की तुलना किसी खिलाड़ी से , प्रो राव की किसी वैज्ञानिक से एवं अटल विहारी बाजपेयी की किसी राजनेता या राष्ट्रनायक से ही सटीक हो सकती है ।चूँकि प्रो राव पर कोई विवाद नहीं है , अतः मानकों के विश्लेषण हेतु  हम सचिन को भरपूर सम्मान देते हुए , उपलब्धियों के रूप में उनके योगदान को स्मरण कर सकते हैं ।
 ************ उनका कार्यक्षेत्र क्रिकेट का खेल रहा है जो दुनियाँ के मात्र आठ -दस देशों में खेला जाता है ।  यह खेल न तो विश्व स्तर का है न ही ओलम्पिक में सम्मिलित है ।भारत में इस खेल का दायित्व एक गैर सरकारी संस्था ,जिसका नाम भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड है ,निभाती है । यही संस्था खिलाड़ियों का चयन कर उन्हें अनुबन्धित करती है और इन्हीं आठ -दस देशों में मैच आयोजित कर करा करा कर अपने और खिलाड़ियों के लिए पैसे कमाती है । चूँकि भारत में यह खेल बहुत ज्यादा लोकप्रिय एवं धन संपन्न है इस लिए क्रिकेट खेल एवं इसके खिलाड़ियों  की आभा भी  चकाचौंध करने वाली बन चुकी है । आंकड़ों की ढेर सारी रोमांचक विविधताओं से भरी इसी क्रिकेट में सचिन ने सैकड़ों का सैकड़ा बनाया ,सर्वाधिक रन बनाया ,सर्वाधिक मैच खेला ,सर्वाधिक समय तक क्रिकेट खेला ,सभी प्रारूप में भारत को विजय दिलाया ,इत्यादि इत्यादि ।बदले  में तेंदुलकर ने बोर्ड एवं विज्ञापन से अरबों रूपया कमाया और शोहरत के शिखर पर पहुँच गए ।क्रिकेट में वर्षों तक खेलते हुए सचिन ने आंकड़ों के अनेक कीर्तिमान बनाने के अलावा खेल को ऐसा कोई योगदान नहीं दिया जिससे वह पूरे विश्व में खेला जाने लगा हो या खेल भावना की कोई सांस्कृतिक लहर चल पड़ी हो । पैसा एवं सोहरत से इतर उनकी दृष्टि ,सोच ,कृतित्व एवं प्रतिबद्धता में कोई करिश्मा भी अबतक नहीं दिखा है जो समाज के लिए एक चालन -शक्ति (driving -force )का काम करे । अब कोई अन्य खिलाडी किसी अन्य खेल या क्रिकेट में ऐसी ही परिस्थितियों में इस तरह के आँकड़े बनाए तो क्या सचिन के लिए बनाये गए मानक उसे भारत रत्न दिलाएं गे ?शायद नहीं । खेल को योगदान के मापदण्ड पर मेजर ध्यानचन्द ,कपिल देव या पी टी उषा उनसे किसी भी प्रकार पीछे नहीं रहे । फिर यही यक्ष प्रश्न कि इन सितारों को भी भारतरत्न क्यों नहीं ।
************निर्विवाद सचिन ने करोड़ों भारतीयों का वर्षों तक बेजोड़ मनोरंजन किया । इसके लिए उन्हें साधुवाद । भारतीय समाज एवं राजनीतिज्ञों को उन्होंने ऐसा बल्ला और गेंद भी पकड़ा दिया कि वे भविष्य   में वाद-विवाद रूपी  विषम बैट -बाल का खेल खेलते रहेंगे ।इस योगदान के लिए भी उन्हें याद किया जायगा ।        भारतरत्न चयन समिति को चाहिए कि अपनी भूल ठीक करते हुए ,आज की स्थिति में पहुँच चुके मानकों के सन्दर्भ में ,श्री अटल विहारी बाजपेयी ,स्व ध्यान चन्द व अन्य ऐसे विशिष्ट ब्यक्तियों को फटाफट भारत रत्न देदे ताकि वर्तमान विवाद को विराम लगे । भारतीयों को आवश्यक और अनावश्यक बोझ ढोने की आदत है । वे सभी भारतरत्नों को याद करेंगे और अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाएंगे । जब मानकों की बात उठेगी ,भारत के भाग्य विधाता लोग इतिहास -भूगोल बदलने की बात उठा देंगे । परन्तु किसी को नहीं भूलना चाहिए कि मानकों का क्षरण समाज के लिए घातक है । यदि माप -तौल के मानकों को क्षरण से बचाने के लिए वैज्ञानिक एक से बढ़ कर एक त्रुटिहीन ब्यवस्था कर रहे हैं तो हम भारतीय अपने सर्वोच्च सम्मान के क्षरण पर गंभीर क्यों नहीं ?सम्मान वही जो मानकों पर खरा उतरे और सर्व स्वीकृति पाये ।
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अंततः
           जिस पुरुष या नारी को सम्मान देने से सम्मान स्वयं सम्मानित हो
          ,वही पुरुष या नारी उस सम्मान के लिए सुपात्र है ।
दिनाँक 21 नवम्बर 2013   वाराणसी                                Mangal-Veena.Blogspot.com
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