शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

क्या कल होगा यही इंडिया

                                           कविता 

                              क्या कल होगा यही इंडिया, विश्वशक्ति इस दुनियाँ में ?
जनता लुटती बीच बजरिया, देव  लुटें   देवालय     में ।
खेती लुटती खेत, कियरिया, जहर मिले फलसब्जी में।
मिला कास्टिक, तेल, यूरिया, दूध  बनावें  पानी  में ।
जो भी मिलता सभी जहरिया,गडबड सब कुछ मण्डी में ।
                              क्या कल होगा यही इंडिया, विश्वशक्ति इस दुनियाँ  में ?
पूजा पाठ भये पंडलिया, सब कुकर्म इस पेशे में ।
लम्पट ठोंगी सब प्रवचनिया, जनता इनके चरणों में ।
पहले नेता फिर नौकरिया, साथी  स्याह कमाई  में ।
अब अभियंता भी आ जुडिया, देश डूबता तिकड़ी में ।
                              क्या कल होगा यही इंडिया, विश्वशक्ति इस दुनियाँ में ?
न्यायान्याय  किताबी बतिया, चले जुगाड़ कचहरी में ।
नोट खेलावे चोर-सिपहिया, बाछें  खिली वकालत  में ।
मिलजाये डॉक्टरी डिगिरिया,खाओ कमीशन चेकअप में ।
मर जायें  या जीयें  रोगिया, नोट  तुम्हारे   पाकेट  में ।
                              क्या कल होगा यही इंडिया, विश्वशक्ति इस दुनियाँ में ?
नाचें, गावें, तोरें  तनिया, भ्रष्ट आचरण जीवन में ।
वसनहीन गौरांग बदनिया , सबसे ऊपर रेटिंग .में ।
कोई न बहना,बेटी,न भइया, टी.वी.धारावाहिक में।
मन्दाकिनी मरी अनुसुइया, देख  बेशर्मी  नारी  में ।*
                              क्या कल होगा यही इंडिया, विश्वशक्ति इस दुनियाँ में ?
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*सती अनुसुइया माता सीता को समझाती हैं :-
                        जग पतिब्रता चारि विधि अहहीं । वेद पुरान संत सब कहहीं ।
उत्तम के अस बस मन माहीं । सपनेहुँ आन पुरुष जग नाहीं ।
                        मध्यम पर पति देखइ कैसे । भ्राता  पिता  पुत्र  निज   जैसे ।
धर्म विचारि समुझि कुल रहही।सो निकृष्ट तिय श्रुति अस कहही ।
                      बिनु अवसर भय तें रह जोई । जानेहु अधम नारि जग सोई । 
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अंततः 
घमंड या अहंकार तुमको झुकने नहीं देता है। झुकोगे नही तो कोई तुम्हे उठाकर गले लगाएगा नहीं। हाँ तुम्हे झुकाने का लगातार प्रयास करता रहेगा।  अतः समाज के गले लगना है तो अपने घमंड रुपी दुश्मन को मारो और झुकना सीखो।
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सोमवार, 12 नवंबर 2012

दीपावली

 *************** किसी भी पर्व के आगमन पर उसकी पृष्ठभूमि व परम्परा के स्मरण का भी अपना एक आनन्द है।अस्तु ,दीपावली ,दीवाली  या दीपोत्सव  विश्व के प्राचीनतम एवं लोकप्रिय  त्योहारों में एक है।आर्य संस्कृति के साथ प्रारूपित यह त्योहार उमँग और ख़ुशियों के साथ सबको आरोग्य ,धनसंपदा ,कौशल विकास  व कल्याण की कामना करने का अवसर प्रदान करता है।यह दुनियाँ की एकमात्र त्योहारी श्रृंखला है जिसमें पुरुषार्थ ,परार्थ ,परमार्थ ,विज्ञान ,अध्यात्म ,अन्धकार व प्रकाश ;सभी समाहित हैं।प्रमुख त्योहार के दिन, अमावस की अँधियारी को दूर भगाती दीपावलियाँ मानवीय उमंगों के साथ भीनी-भीनी ठण्ड की आंचल तले भारत भूमि पर ऐसी आकाशगंगीय छटा बिखेरती हैं मानो दरवाजे पर आहट देती शीत ऋतु का स्वागत कर रही हों।आज के व्यवहार में यह दीप सुन्दरी अपनी सम्पूर्ण मनोहारी परम्पराओं के साथ कार्तिक कृष्ण पक्ष की धनतेरस को सांध्यवेला में हुलसित होती इस धरा पर अवतरित होती है और पाँच दिनों तक जन -जन को रंग -विरंगी खुशियों से सराबोर करती और कर्मयोग की प्रेरणा  देती हुई वर्ष परिक्रमा की ओर  बढ़ जाती है।
***************विजय पर्व दशहरा के साथ ही दीपावली अपने आगमन की आहट दे देती है ।खेतों में धान ,ज्वार ,बाजरा ,उरद ,मूँग इत्यादि खरीफी फसलों की बालियाँ व फलियाँ सुनहरी हो उठती हैं और किसान को खलिहान चलने का संदेश देती हैं ।साथ ही वातावरण ,धरती और आकाश स्वच्छ होने का संकेत देने लगते हैं। फिर क्या सभी लोग अपने घर -द्वार ,गली-कूचा ,गौशाला ,घूर ,खेत -खलिहान व आस -पास की श्रमसाध्य सफाई  करते हैं और अनाज को सीवान से खलिहान होते हुए घर लाते हैं।उपज के साथ  नगरों में भी कृषिजन्य व्यवसायों का नया सिलसिला चल पड़ता है ।हाट बजार में अब तक गुड़ ,शक्कर ,फल , सब्जी इत्यादि की आमद भी जोर पकड़ लेती है ।साथ में स्वच्छ धरती ,सुथरे जलाशय ,समशीतोष्ण मौसम ,व्यवसायियों को प्राप्त कारोबारी अवसर ,मजदूरों को प्राप्त त्योहारी ,कर्मियों को मिला  बोनस और  बेतन भी इस त्योहार में  इन्द्रधनुषी आकर्षण भर देते हैं ।एक लोकोक्ति है कि सदा दीवाली संत घर ;जो गुड़, पय(दूध ), पुर्ना (अनाज ) होय ।ऊपर से सबके मन में यह दृढ विश्वास कि जैसा दीपावली का दिन  वैसा पूरा वर्ष ।अतः लोग इस त्योहार की विविध एवं उत्कृष्ट तैयारी में कोई कोर -कसर नहीं छोड़ते हैं ।                
***************समय के साथ ग्रामीण एवं नगरीय परिवेश बदले हैं,आर्थिक तंतु  बदल गए हैं, यहाँ  तक कि स्नेह एवं दीप भी रूप बदल कर मोमबत्ती, बिजली बल्ब की लड़ियाँ  एवं लेज़र लाइट हो गए हैं, परन्तु अविरल भारतीय  परम्परा से  इस त्योहार को जीवंत स्नेह निरन्तर  मिल रहा है और आज भी इसमें कोई  ह्रास नहीं हुआ है। लगातार पांच दिनों तक चलने वाला यह पर्व कार्तिक महीने के कृष्णपक्षीय धनतेरस  से चल कर शुक्लपक्षीय द्वितिया को विराम लेता है। हर हिन्दू परिवार धनतेरस को लक्ष्मी - गणेश की लघु प्रतिमा , कोई धन प्रतीक जैसे नया बर्तन, सोने या चाँदी का सिक्का , आभूषण तथा लड्डू - मिठाई बाज़ार से  नकद  क्रय कर घर लाता है। देर सांझ को शुभ -लाभ रूप लक्ष्मी - गणेश की दीप जला कर आराधना होती है।हिन्दू परिवारों का भरसक प्रयास होता है कि वे बड़ी खरीद  -विक्री आज के दिन ही करें। अतः आज के दिन भारतीय बाजारों में करोड़ों करोड़ रुपये की धन वर्षा होती है और अनेकानेक गृहोपयोगी वस्तुएँ घरों में आती हैं।  आज ही के दिन समुद्र मंथन से लक्ष्मी के साथ आरोग्य के देवता धनवन्तरि का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था । अतः औषधि विधा वाले आज धन्वन्तरि भगवान की पूजा करते हैं। धर्मराज यम के पूजन की भी प्राचीन परंपरा चली आ रही है।
*************** दूसरे दिन छोटी दिवाली या नरकासुर चतुर्दशी मनाने की परंपरा है, जिसे नरक नाम के असुर को भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए वचन के अनुपालन में समस्त भारतवंशी हजारों वर्षों से बड़ी श्रद्धा से निभाते चले आ रहे हैं। इस क्रम में साँझ को पुराने दीप में तेल - बाती कर यम का दीया दरवाजे के बाहर रखा जाता है। कुछ पंचांग आज के दिन पवन पुत्र हनुमान की जयंती का भी उद्घोष करते हैं और तदनुसार धूम -धाम से हनुमदजयन्ती हर्षोल्लास से मनाते है। अयोध्या में यह पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।
*************** मुख्य दीपावली पर्व अमावस्या की संध्या बेला से प्रारंभ होता है।  यह पर्व सर्वप्रथम,इसी दिन जगत जननी माता सीता और लक्ष्मण के साथ लंका विजयोपरांत मर्यादापुरुषोत्तम भगवान् श्री राम के घर लौटने पर, अयोध्यावासियों ने मनाया था। इस दिन संध्यावतरण होते ही लोग सर्व प्रथम देवालयों में दीप जलाते हैं, फिर ग्रामदेवता, कुल देवता एवं घूर को दीप प्रकाश समर्पित करते हैं। तत्पश्चात घर, बाहर, सर्वत्र दीपावली ही दीपावली।  अँधेरी रात में दीप प्रकाशों से दूर भागती , सिमटती अंधियारी की मनोरम छटा देखते ही बनती है। जिसने प्रकाश पुंजों को घनी अंधियारी पर विजय पाते न देखा हो उन्हें ऐसे दृश्य की एक झलक पाने का यत्न करना चाहिए। दीपावली सजाने के बाद पूरा कुनबा उमंग एवं सौहार्द के वातावरण में पकवान, तले सूरन (जमीकंद) एवं मिठाई का आनद उठता है। मान्यता है कि यदि हिन्दू दीपावली के दिन सूरन न खाए तो उसका अगला जन्म छछुंदर या इस तरह के किसी नीच योनि में हो सकता है। मौज मस्ती करते हुए देर रात्रि में विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को, पंडित अपनी पोथी को, धनवान अपने धन को, विद्वान् अपनी वाणी को, व्यवसायी अपनी बही को, वैद्य अपनी औषधि शास्त्र को, तांत्रिक अपने तंत्र विद्या को, चोर अपनी चोरी को,जुआरी  अपनी द्यूत को जगाते हैं। अल्पना किये हुए जगमगाते घर पूरी रात्रि खुले रहते हैं क्योंकि मान्यता है कि लक्ष्मी जी का रात्रि के उत्तरार्ध में सर्वाधिक स्वच्छ ,आलोकित और मनोरम घरों में पदार्पण होता है। दादी माँ जलते दीप को परई से ढँक कर इस रात काजल की कालिख तैयार करती हैं जिससे लोग वर्षपर्यंत अपनी आँखों की ज्योति दुरुस्त रखते हैं। भोर मुहूर्त में घर की वरिष्ठ महिलायें सूप की थाप से दरिद्र महाराज को घर के कोने -कोने से  खेद कर सीवान तक ले जाती हैं और वहीँ इकठ्ठा होकर सभी सूपों को जला देती हैं।भोर में जब सूप बजाती महिलाएं  घरों से निकलती हैं तब उनकी  कोरस  की रागधुन सुनते ही बनती है ।लोग कहते हैं कि दरिद्र भगाए सूप को ततक्षण जला कर तापने से सारे चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं और ब्यक्ति भब्यता को प्राप्त होता है ।इस प्रकार लोग दरिद्रता को दूर भगा लक्ष्मी कृपा आवाहन कर नव प्रभात की ओर बढ़ते हैं ।बंगाल में इस रात काली पूजा की प्रबल प्रथा है ।परन्तु इतने सुन्दर पर्व को, अत्याधिक पटाखेबाजी जनित  ध्वनि प्रदूषण और पर्यावरण छति ने बहुत कलंकित किया है। अरबों रुपये स्वाहा कर हम अपने श्रवण शक्ति खोने ,दमा -खाँसी को आमंत्रित करने ,वायु को दूषित करने व आस -पास गन्दगी फ़ैलाने का उपक्रम करते हैं।जूए का खेल भी इस त्योहार का दामन नहीं छोड़ रहा हैं।ये  व्यवहार के नकारात्मक पहलू हैं। अतःहमें इस पावन पर्व को ऐसी कुरीतियों से मुक्त करना चाहिए।     
***************चौथे दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा कों गोवर्धन पूजा होती है, जिसमें विधान के अनुसार मंदिरों में अन्नकूट होता है। गोवर्धन पूजा का स्पष्ट सन्देश है कि पूजा उसकी की जाये जो बेहतर जन सेवी हो।जैन ,गुजराती और वनिक समुदाय इस दिन को नव वर्षारंभ के रूप में मनाता  है। सामान्यतः आज लोगों का इष्ट मित्रों से मिलना - जुलना होता है और होती है सबके पास सबके लिए सद्भावना एवं शुभेच्छा ।
***************पांचवे दिन अंतिम पायदान पर भैया-दूज या यम- द्वितिया मनाई जाती है जिसके पृष्ठ भूमि में धर्मंराज यम एवं उनकी बहिन यमी (यमुना) की एक स्नेहमयी पौराणिक गाथा है।दूसरी स्मरणीय कथा यह है कि जब नरकासुर का बध क़र श्री कृष्ण घर लौटे तो आज ही के दिन लाडली बहन सुभद्रा ने उनके मस्तक पर अक्षत, कुमकुम, रोली लगाकर स्वागत किया एवं उन्हें मिठाईयां खिलायीं थी । भैय्या दूज भाई - बहनों के बीच मधुर रिश्तों का एहसास कराने  एवं एक दूसरे के प्रति कर्तव्यों को याद दिलाने व निभाने का व्रत लेने वाला  पर्व है। इस दिन कायस्थ समाज चित्रगुप्त महाराज,जो धर्मराज यम के महा लेखाकार माने जाते हैं,  की पूजा- आराधना करता है।लोग इसे कलम पूजा भी कहते हैं।इन मान्यताओं के अलावा देश के विभिन्न अंचलों में दीवाली क़े साथ अन्य बहुत सी किम्बदंतियाँ व कथाएँ जुड़ी हुई हैं जिनके अनुसार रिवाजें भी मनाई जाती हैं। इस प्रकार  व्यवहार से मंडित दीपावली ,देव दीपावली को आमंत्रित करते हुए, विदा हो जाती है और मानवता को ऊर्जा, उमंग एवं साहस बढ़ा जाती है ताकि शीत ऋतु में उद्यमिता एवं कृषिधर्मिता सानुकूल रहे।सत्य एवं प्रकाश के विजय पर  दीपमालिका  सजाने  वाली इस शानदार दिवाली को बारंबार नमन।  
------------------------------शुभं करोति कल्याणं ,आरोग्यं धन संपदा ।
------------------------------शत्रु बुद्धि विनाशाय ,दीप ज्योति नमस्तुते ।
परन्तु ---- जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना 
                 अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
                  लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी 
                  निशा की गली में तिमिर राह भूले।(श्री गोपाल दास नीरज ) 
दिनाँक 27  अक्टूबर 2016 संवत 2073 ------------------------------- मंगलवीणा 

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अंततः
***************सभी सनेही पाठकों ,मित्रों एवं शुभेच्छुओं को धनतेरस ,धन्वन्तरि जयंती ,छोटी दीवाली ,हनुमद्जयन्ती ,शुभ दीपावली ,लक्ष्मी -गणेश पूजनोत्सव ,गोवर्धन पूजा ,भैयादूज ,यमद्वितिया , चित्रगुप्त पूजनोत्सव एवं नव वर्षारम्भ की ढेर सारी शुभ कामनायें।इस अवसर पर पर्व के सन्देश पर बढ़ते  हुए हमें स्वच्छता, आरोग्य एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित होने का ब्रत भी लेना चाहिए।
 शुभम अस्तु।----------------------------------------------------------------------------------------------- मंगलवीणा


शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

भारतीय लोकतंत्र प्रहरी परीक्षा 2012

परिचय :1.पाठकों  के लिए सभी प्रश्न पढ़ना अनिवार्य  है ।सभी प्रश्नों के अंक समान  हैं ।
              2.प्रश्नों  में उल्लिखित आंकड़ो एवं तथ्यों का सत्य या असत्य से कोई न कोई संबंध है ।
              3.यह प्रश्नपत्र एक साहित्यिक रचना है जिसका प्रयोजन देश में हो रहे भ्रष्टाचारों की लम्बाई- चौड़ाई का अंदाज लगाना है। 
              4.प्रथम दस उच्चतम अंक पाने वाले पाठकों को पाठकों के माध्यम से श्रेष्ठ लोकतंत्र प्रहरी पुरष्कार से          सम्मानित करने पर विचार किया जा सकता है वशर्ते इस चयन प्रक्रिया में भी कोई घोटाला न हो जाय ।
        प्रश्न 1-निम्न लिखित घोटालो को पुराने से नये की ओर खुलने वाले समय क्रम में ब्यवस्थित करें 
अ .कोलगेट                ब .कामनवेल्थ गेम्स             स .एस बैंड (एंट्रिक्स -देवास ) 
द .अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा नईदिल्ली                       य .2-जी 
       प्रश्न2.भारत में वर्तमान समय मे घोटाले की मानक इकाई (माइ )क्या है 
अ .लाख करोड़ रु  (1000000000000)    ब .करोड़ रु (10000000)      स .लाख रु (100000)                      संकेत -हमारे देश  में अब अरब, खरब की नहीं बल्कि लाख करोड़ की बात होती है  ।
       प्रश्न3.निम्न लिखित सारिणी  में अ वर्ग में घोटालों  के नाम तथा ब वर्ग में उनकी राशि अंकित है ।तीर लगा कर दिखाएँ कि  किसका किससे  सम्बन्ध है -
  अ   वर्ग                                                     ब   वर्ग 
क .कोलगेट                                            0.36 माइ रु  
ख .2-जी                                                2.00 माइ रु 
ग .एस बैंड (एंट्रिक्स -देवास )                  1.76 माइ रु 
घ .कामनवेल्थ गेम्स                              1.86 माइ  रु  
       प्रश्न4.स्वतंत्र भारत का पहला कुल 197.39 करोड रु का बजट स्व .श्री आर .के .खड़मुखम चेट्टी ने संसद में सन 1947-48 में प्रस्तुत किया था जब कि प्रश्न 4 में वर्णित  घोटालों  की कुल कीमत लगभग 6 माइ रु है इस आधार पर निम्न आकडों में सही अनुपात पर  y का निशान लगायें 
अ .      1    :     3030               ब .     3030    :    1             स .      1     :       100    द .   1    :     1000
संकेत : स्वतंत्र भारत के प्रथम बजट के कई हजार गुने घोटाले हाल के दो -तीन वर्षों में हुये हैं 
       प्रश्न5.निम्न लिखित घोटालों /भ्रष्टाचारों का किस राज्य से सम्बन्ध है - तीर लगाएं 
                चारा -घोटाला                           हरियाणा 
                एनआरएचएम                          बिहार 
                 लवासा सिटी                            उत्तर प्रदेश 
                लैंड स्कैम्स                               महाराष्ट्र 
      प्रश्न6.डिश प्रोपोर्शनेट एसेट(श्रोत से असंगत संपत्ति )मामलों में निम्न में से कौन व्यवसाय के लोग सर्वाधिक स्वनाम धन्य हुए हैं ।
अ . नेता        ब .  नौकरशाह        स .  व्यवसायी      द .    किसान
संकेत  :डी .ए . से जुड़े पाँच माननीयों के नाम मन में  स्मरण  करें ।
      प्रश्न7.भारत में तीस रूपया प्रतिदिन से कम कमाने वाले गरीबी में डूबे  रहते हैं और उसके ऊपर  तुरंत अमीर की भांति पंख लगा उड़ने लगते हैं।फिर भी यदि सभी सवा सौ करोड़ लोग कामनवेल्थ गबन की राशि अपने पास से सरकारी खजाने में जमा करने का प्रण करें और तीस रूपया प्रति दिन कोष में जमा करें तो यह राशि कितने दिन में सरकारी कोष  में जमा हो जाएगी ।
अ .     लगभग 10 दिन           ब .1 दिन        स .आधा  दिन           द .एक  महीना
संकेत :नवरात्र के नौ दिन व्रत से भी यह भरपाई नहीं हो सकती है ।
       प्रश्न8.यह मानते हुए कि एक आई .ए .एस .अधिकारी अपने जीवन काल में औसतन पैंतीस वर्ष नौकरी करता है और प्रतिमाह एक लाख रुपये वेतन पाता है, वह सामान्य वेतनभोगी की भांति  पूरे सेवाकाल में   कितनी पूँजी खड़ा  कर सकता है ।
अ .प्रतिमाह खर्च के बाद 50%बचत करते हुए लगभग दो करोड़ रुपये
ब .प्रतिमाह खर्च के बाद 25%बचत करते हुए लगभग एक  करोड़ रुपये
स .प्रतिमाह खर्च के बाद 20%बचत करते हुए लगभग पचासी लाख  रुपये 
संकेत :सूचना के अधिकार तहत तीस वर्ष से अधिक नौकरी कर चुके 100 आई .ए .एस .अधिकारियों द्वारा अर्जित सम्पत्ति का विवरण  माँगा जा सकता है अन्यथा मध्य प्रदेश के आई .ए .एस .दम्पत्ति को याद किया जा सकता है ।
       प्रश्न9:रुपयों की गणना में दशमलव के दो अंक दाहिने बाद सभी अंक छोड़ (इग्नोर ) दिये जाते हैं ।अतः निम्न लिखित घोटालों में किस घोटाले को घोटाला नहीं मानना चाहिए और इण्डिया अगेंस्ट करप्शन को इसके लिए क्षमा मांग लेनी चाहिए ।
अ .डॉ .जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट                        71 लाख रु 
ब .महाराष्ट्र सिचाई घोटाला                                     .70माइ रु 
स .2-जी घोटाला                                                     1.76माइ रु 
द .कोलगेट घोटाला                                                 1.86माइ रु 
संकेत :कृपया बेनी प्रसाद बर्मा जी से संपर्क करे ।
       प्रश्न10. आज की परिस्थिति में इनमे से कौन सा स्लोगन राष्ट्रीय स्लोगन बनाया जा सकता है ।
अ .उद्योगी पुरुष (घोटाले बाज )शेर की भाँति लक्ष्मी अर्जित करते हैं ।
ब .ना इज्जत की चिंता ना फिकर किसी अपमान की -जय बोलो सरकार की ।
स .शार्टटर्म सत्ता की सेवा -घोटाले में ही मेवा ।
द .गली -गली बेईमान हैं --फिर  भी देश महान है।
संकेत :भारत :घोटाले बाज (उद्योगी ): : जंगलराज : शेर ।                                                                            --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
        यदि प्रश्नावली समाप्त हो गई हो तो ध्यान दें - सुनने में आया है कि हमारे प्रधान मंत्री जी बीते दशहरे से  अतीव प्रसन्न हैं क्योंकि स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक श्री मोहन भागवत ने दशहरे पर यह बयान ,कि देश में भ्रष्टाचार के लिए वर्तमान शिक्षा जिम्मेदार है ,देकर यूपीए सरकार को भ्रष्टाचार से दोष मुक्त कर दिया है एवं उसे भविष्य की शिक्षा नीति के लिए मार्ग -दर्शन भी दे दिया है ।अब समस्यायें आने पर वे भी  नागपुर आर एस एस मुख्यालय जा सकते हैं ।फिलहाल शिक्षा को चुस्त -दुरुस्त करने के लिए मनमोहन सरकार एक प्रस्ताव पर विचार कर सकती है कि आम  बजट में करदाताओं के ऊपर इनकम टैक्स पर शिक्षा सेस के अलावा कुछ प्रतिशत अतिरिक्त घोटाला निवारक शिक्षा सेस लादा जाय क्योंकि घोटालों का शिक्षा से चोली दामन सा साथ है।फिर संघ से शिक्षा का वह माडल तैयार कराया जाय जो भ्रष्टाचार से निपटती रहे और सरकार इस पाप -दोष से मुक्त हो जाय ।तत्कालिक राहत के लिए आर एस एस के सौजन्य से दोनों गुरु भाई कांग्रेस  और बीजेपी अब भ्रष्टाचार का मुद्दा समाप्त मान कर आगामी संसद सत्र को सुचारुरूप से चलायेंगे ।वे दोनो दल अब न भ्रष्टाचार देखेंगे ,न सुनेंगे ,न बोलेंगे ।इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि मिडिया ,प्रबुद्द लोग ,मैंगोपीपुल ,अन्ना जी ,केजरीवाल साहब ,बाबा रामदेव अब अन्य मुद्दों पर ध्यान दे सकेंगे दूसरी ओर घोटाले बाज भी अब नये कारनामों का ताना -बाना बुनने में ध्यान लगायेंगे ।क्या बात है मनमोहन जी ने  एक ही गेंद से सारे घोटा लों की गिल्ली ही उड़ा दिया ।यही  तो नहीं था इस बार दशहरे पर रावण दहन का रहस्य ?जय बोलो सरकार की ।
अंतत:
Think over it :Everybody intends to rule with flexibility to be ruled upto certain extent .